टीकम दा की हेकड़ी पूरे इलाक़े में मशहूर है । दूसरों के हर काम में टाँग अड़ाना और हर बात पर अपनी चलाना टीकम दा की ख़ासियत रही है । यहाँ तक की अगर गाँव के मंदिर में भंडारे के लिए सामान की लिस्ट बनती है तो टीकम दा उसमें फिर कुछ ना कुछ तब्दीली ज़रूर करते हैं अगर सबने तय किया कि पचास किलो आलू चाहिए तो टीकम दा या तो पाँच किलो आलू कम करवाएँगे या पाँच किलो बढ़वाएँगे लेकिन लिस्ट में तब्दीली ज़रूर करवाएँगे क्योंकि हर जगह हेकड़ी दिखाना उनका शौक़ है । उम्र बढ़ने के साथ साथ टीकम दा के सिर के बाल कम हो गए, आँखों की रोशनी कम हो गई, मुँह में दाँत भी कम हो गए लेकिन हेकड़ी में कोई कमी नहीं आई । टीकम दा आपकी जय हो । ईश्वर आपको लम्बी उम्र दे ।