ई आर पी इम्पलीमेंटेसन

कुदरती लाल ई आर पी के महारथी हैं । पिछले कुछ वर्षों में हमारा देश डिजिटलाईजेसन में बहुत तेजी से आगे बढ़ा । जी एस टी लागू होने के बाद तो बिना ई आर पी किसी भी कम्पनी का काम नहीं चल सकता अगर कम्पनी का सालाना टर्नओवर पाँच सौ करोड़ से ऊपर है और ट्रैंज़ैक्शन बीस हज़ार से ज़्यादा हैं तो आई आर पी लगाना ज़रूरी हो जाता है और अब तो ऑडिट ट्रेल भी अनिवार्य हो गया है ।

कुदरती लाल का कहना है जब कोई भी कम्पनी मैन्यूअल सिस्टम से ई आर पी में जाती है तो उसकी लीडरशिप के कॉन्सेप्ट कलीयर होना पहली शर्त है । ई आर पी इम्प्लमेंटेशन कोई हौवा नहीं है । केवल कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है :-

1. ई आर पी का कस्टमाईजेसन ना करें

2. अपने काम करने के तरीक़े को बदले उसे ई आर पी के स्तर पर ले जाएँ

3. जिस प्रॉसेस में दस प्रतिशत से ज़्यादा कस्टमाईजेसन होगा वो कभी सक्सेस नहीं होगी ।ये बात गाँठ बाँध लें ।

4. जो फ़ंक्शनैलिटी ई आर पी में नहीं है उसे मैन्यूअल ही रहने दें । कुदरती लाल जी एक कम्पनी का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि कम्पनी में ई आर पी इम्प्लमेंट होते ही फ़रमान जारी किया गया अब सारे काम ई आर पी में होंगे कोई कर्मचारी एक्सेल का उपयोग नहीं करेगा । ये बेहद हास्यास्पद है । अगर आपने एक नई ऑडी कार ली है और आपके पास एक आल्टो भी है तो आप बिज़्नेस मीटिंग में ऑडी से जाएँगे और सब्ज़ी मंडी से सब्ज़ी लेने आल्टो से जाएँगे जबकि आप ऑडी से भी जा सकते थे। इसी तरह आप जो भी काम एक्सेल से करते हैं वे सारे काम ई आर पी से करने की गलती करने से बचें ।

5. ई आर पी इम्प्लमेंट करने में कम्पनी के आई टी विभाग और कंसलटेंट की भूमिका सबसे अहम होती है उनको प्रॉसेस ओनर से पर्याप्त सहयोग मिलना ज़रूरी है ।

6. ग़लतियों पर मंथन ज़रूरी है । जब हम कोई नया काम करते हैं तो ग़लतियाँ भी होती है । गलती होने पर स्वस्थ माहौल में विचार विमर्श करके आगे बढ़े ।

7. आरोप प्रत्यारोप के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए । टॉप मैनज्मेंट को यह बात शुरू में ही स्पष्ट कर देनी चाहिए कि ये टीम वर्क है असफलता के लिए किसी को व्यक्तिगत रूप से दोषी नहीं माना जाएगा सभी लोग निडर होकर इसमें सहयोग करें ।

8.ई आर पी को चार फ़ेज़ में इम्पलिमेंट करें एंट्री फ़ेज़, रिपोर्ट फ़ेज़, कम्प्लाइयन्स फ़ेज़ और अनालिसिस फ़ेज़ । चरणबद्ध काम करें चारों फेज एक साथ ना करें ।

9. विश्वस्त रहें । इसमें नाकामयाबी का एक प्रतिशत भी चान्स नहीं है । याद रखे अगर ई आर पी इम्प्लमेंट करना इतना ही मुश्किल होता तो इस पर करोड़ों रुपए ख़र्च करके इसे कोई भी कम्पनी क्यों ख़रीदेगी । ये काम को आसान करने के लिए है खुद मुसीबत बनने के लिए नहीं ।

10. सबसे महत्वपूर्ण बात है कि मैनज्मेंट को ये बात स्पष्ट होनी चाहिए कि ई आर पी कॉस्ट का पार्ट नहीं है इसलिए इसका रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट केलकुलेट नहीं किया जा सकता । ई आर पी कंट्रोल का पार्ट है ये कम्पनी के कंट्रोल सिस्टम को मजबूत बनाता है इसलिए ई आर पी के आर ओ आई की बात ना की जाए । हम कम्पनी की सेफ़्टी के लिए सिक्योरिटी गार्ड रखते हैं तो उसकी आर ओ आई नहीं निकालते क्योंकि हम जानते हैं ये कंट्रोल का पार्ट है कॉस्ट का नहीं । यही बात ई आर पी के लिए भी लागू होती है ।

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