ख्यालीराम की पीपीटी

ख्यालीराम अपनी पीठ खुद ठोकने में विश्वास रखते हैं । उनका मानना है कि आपको अपनी प्रशंसा स्वयं करनी चाहिए क्योंकि आपका मज़ाक़ बनाने वालों की कमी नहीं है । ख्यालीराम काम करने में सबसे पीछे और पीपीटी बनाने में सबसे आगे रहते हैं । ख्यालीराम की पीपीटी से प्रभावित होकर उन्हें एक बड़े प्रोजेक्ट की ज़िम्मेदारी दी गई । ख्यालीराम ने एक शानदार पीपीटी बनाई । ख्यालीराम जानते थे कि अगर प्रोजेक्ट आगे बड़ा तो उसे सम्भालना उनके लिए मुश्किल हो जाएगा इसलिए उन्होंने सबसे पहले प्रोजेक्ट की कुछ एसी शर्तें बनाई जिसमें सारा काम दूसरों को करना था और ख़्यालीराम के हिस्से में आराम ही आराम था । कुछ एसी शर्तें भी पीपीटी में रखी जो कभी पूरी नहीं हो सकती थी (ना होगा नौ मन तेल ना राधा नाचेगी ) । काफ़ी लम्बे समय तक प्रोजेक्ट पर काम चला अंत में थक हारकर प्रोजेक्ट बंद कर दिया गया । प्रोजेक्ट की नाकामयाबी पर ख्यालीराम ने एक शानदार पीपीटी बनाई जिससे साबित हो गया कि ख्यालीराम जी को पर्याप्त सहयोग नहीं मिला अन्यथा ये छोटे मोटे प्रोजेक्ट ख्यालीराम जी के लिए मामूली बात हैं । इस पीपीटी से अत्यधिक प्रभावित मैनज्मेंट ने ख्यालीराम जी को प्रशस्ति पत्र और उनके सहयोगियों को कारण बताओ नोटिस जारी क़िए ।

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