रायचंद्र की सदा ही जय

हमने रोज़मर्रा के जीवन में दो तरह के लोग देखे होंगे रायचंद्र और कर्मचंद्र । रायचंद्र हर मुद्दे पर अपनी राय देते हैं और स्वयं ज़िम्मेदारी लेने से कोसों दूर रहते हैं । कर्मचंद्र काम करने में सबसे आगे रहते हैं लेकिन रायचंद्र बाज़ी मार ले जाते हैं और कर्मचंद्र के करम फूटे ही रहते हैं । रायचंद्र वहाँ भी अपनी राय बेबाक़ी से देते हैं जहाँ उन्हें शून्य से भी कम जानकारी होती हैं इसे कहते हैं चाय तो बोले साथ में छन्नी भी मुँह खोले। रायचंद्र केवल राय ही नहीं देते अपनी छाती खुद ही ठोकते हैं । रायचंद्र माहिर शब्दवीर होते हैं हवाई क़िले बनाने में माहिर रायचंद्र हमेशा फ़ायदे में रहते हैं ।

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