ओजस्वी किशोर दा

किशोर दा पेशे से वास्तुकार हैं । प्रतिभाशाली किशोर दा एक ओजस्वी वक्ता हैं जब बोलते हैं उनकी वाणी से तेज टपकता हैं । किशोर दा की वाणी में तेज का मूल कारण जीभ पर उनका अकल्पनीय संयम है एसा संयम केवल किताबी किरदारों में मिलता है । किशोर दा ने अपने जीवन में निंदा रस से सख़्त परहेज़ किया । सत्तर बसंत देख चुके किशोर दा ने पूरे जीवनकाल में किसी की निंदा में एक शब्द नहीं बोला । जिसका अपनी इंद्रियों में एसा संयम होता है उसका ओजस्वी होना स्वाभाविक है । महाभारत में गांधारी ने अपने नेत्रो में पट्टी बांधकर अद्भुत इंद्रीय संयम साधा था उनकी इस साधना ने इतनी शक्ति अर्जित कर ली थी कि उनकी एक दृष्टिपात ने दुर्योधन के शरीर को वज्र जैसा शक्तिशाली बना दिया था । निंदा रस मन को हल्का करता है निंदा रस का अपना आनंद है लेकिन निंदा रस वाणी के ओज को निस्तेज कर देता है । किशोर दा के कट्टर दुश्मन हैं हयात भाई । लोग मज़े लेने के लिए किशोर दा से जानबूझकर कर हयात का ज़िक्र करके किशोर दा को उकसाते हैं कि किशोर दा हयात के ख़िलाफ़ एक शब्द तो बोल दें लेकिन किशोर दा अलग ही मिट्टी के बने हैं उनके मुँह से कट्टर विरोधी हयात के लिए भी प्रशंसा के फूल ही झरते हैं ।

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