शुभस्य शीघ्रम

मेरे छोटे मामाजी (गोपाल मामाजी) अक्सर कहा करते थे जिसकी सुबह पिछड़ गई समझो उसका दिन भी पिछड़ गया । अगर एक बार कोई भी काम पूरे मनोयोग से शुरू कर दिया जाए तो वह काम धीरे धीरे पूरा हो ही जाता है । अगर हम काम की शुरुआत करने में देरी करेंगे तो निश्चित ही काम में पिछड़ जाएँगे । परिस्थिति कभी अनुकूल नहीं होती उन्हें अनुकूल बनाना पड़ता है । एक कहावत है अनुकूल परिस्थितियों का इंतज़ार करने वाला हमेशा इंतज़ार ही करता रहता है। सुबह शरीर और मस्तिष्क एकदम तरोताज़ा रहता है इसलिए सुबह का समय किसी भी काम के लिए सबसे उत्तम बताया गया है।

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