होशियार दा

होशियार दा नाम के अनुरूप बड़े होशियार हैं । उनकी सबसे बड़ी ख़ासियत अपनों के प्रति उनका मधुर व्यवहार । होशियार दा अपनों के लिए शहद से भी मीठे और परायों के लिए करेले से भी ज्यादा कड़वे हैं । हर काम में सरपंची दिखाते होशियार दा ‘अंधा बाँटे रेवड़ी और अपनों को दे ‘ इस सिद्धांत पर बड़ा गहरा विश्वास रखते हैं । उनके तर्कों के आगे लोमड़ी जैसे शातिर दिमाग़ वाले खडक दा भी पानी भरते हैं । हालाँकि खडक दा पूरे जी जान से टक्कर देने की कोशिश करते हैं लेकिन नैसर्गिक प्रतिभावान होशियार के आगे हमेशा घुटने टेकते नज़र आते हैं । होशियार दा का कहना है वे कड़वा ज़रूर बोलते हैं लेकिन सबका भला चाहते हैं उन्होंने आज तक किसी का बुरा नहीं किया जाने अनजाने कुछ हो गया हो तो लोग उन्हें माफ़ करें । एसा कहते समय एक कुटिल मुस्कान होशियार दा के चेहरे पर फैल जाती है ।

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