निरंतरता के दस मिनट

रफ़ीक भाई जर्मन भाषा के मुर्धन्य विद्वान हैं । रफ़ीक मूल रूप से एक टेक्निकल मैनज्मेंट कंसलटेंट हैं । जर्मन भाषा उनकी अतिरिक्त योग्यता है । रफ़ीक भाई बताते हैं कि उन्होंने शुरुआत में एक साल जर्मन भाषा की कोचिंग ली । उसके बाद दस साल स्वाध्याय से इसमें पारंगत हुए । मज़े की बात ये है कि रफ़ीक ने प्रतिदिन केवल दस मिनट पढ़ाई की लेकिन दस साल में एक भी दिन नागा नहीं किया । ना कभी दस मिनट से ज़्यादा पढ़ा ना कम । रफ़ीक भाई का कहना है जब हम एक घंटा या दो घंटा पढ़ते हैं तो कभी कुछ काम आ जाता है कभी त्योहार आ जाता है कभी बच्चों को पढ़ाने बैठ जाते हैं । खुद के लिए निरंतर एक घंटा या अधिक निकालना सम्भव नहीं हो पाता लेकिन दुनिया में कोई भी इतना व्यस्त नहीं कि खुद के लिए दस मिनट ना निकल पाए । दस मिनट में चमत्कार घटित हो सकता है रफ़ीक भाई इसकी मिसाल हैं ।
Moral of the story – Great works are performed not by strength but by perseverance.

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