काल्पनिक नेवला

खड़क दा बड़े ही मस्त मौला क़िस्म के इंसान हैं । एक दिन मैंने उनसे पूछा क्या आपको जीवन में कभी तनाव नहीं होता । खड़क ड़ा ने ज़ोरदार ठहाका लगाया जैसे मैंने कोई लतीफ़ा सुना दिया हो । खडदा बोले – मानसिक तनाव मूर्खों को होता है किसी समझदार व्यक्ति को तनाव हो ही नहीं सकता । मैंने कहा खड़क दा आप किताबी बातें कर रहे हो प्रैक्टिकल जीवन में थोड़ा बहुत तनाव कभी कभार हो ही जाता है । खड़क दा भड़क गए और तैश में आकर बोले किताबी लोगों को ही तनाव होता है प्रैक्टिकल इंसान तो तनाव जानता ही नहीं । फिर खड़क दा ने दार्शनिक अंदाज़ में एक कहानी सुनाई –
एक आदमी एक महात्मा के पास गया और बोला महाराज मुझे सपने में बड़े बड़े ज़हरीले साँप दिखते हैं और मुझे डँसते हैं । साधु ने उसे एक पिटारी पकड़ाते हुए कहा इसमें नेवला है इसे सिरहाने रखकर सोना साँप डर से तुम्हारे सपनों में नहीं आएँगे । आदमी उस रात चैन से सोया । सुबह उसने पिटारी खोलकर देखा तो पिटारी ख़ाली थी । वह साधु के पास गया और बोला महाराज इसमें तो कोई नेवला नहीं हैं । महाराज ने कहा तेरे सांप भी काल्पनिक थे और इसलिए तेरी समस्या के समाधान के लिए काल्पनिक नेवला दिया और तेरी समस्या दूर हो गयी । ख़तरा केवल कल्पना में ख़तरनाक होता है । जब भी कोई ख़्याल बेचैन करे तो ये सोच लो अधिक से अधिक क्या नुक़सान हो जाएगा और उस नुक़सान को उठाने के लिए तैयार हो जाओ । जीवन में जोखिम तो लेना ही पड़ेगा । अगर बल्लेबाज़ केवल कैच आउट होने से डरेगा तो कभी छक्का नहीं मार पाएगा । काल्पनिक साँपों के लिए काल्पनिक नेवले पालिए और मस्त रहिए ।
खड़क दा का ये रूप देखकर मै भोचक्का रह गया क्योंकि मै खड़क दा को बड़ा लापरवाह क़िस्म का इंसान समझता था जबकि वे मुझसे कई गुना परिपक्व निकले ।

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