टपकी मिलो यतुके हो

जीवन में हास्य के महत्व को कौन नहीं जानता । रामलीला में हास्य कलाकार चार चाँद लगा देते हैं । बचपन में खड़क दा रामलीला में गाते थे – राम जी की शादी भई तुम ले भया हम ले हो । दाव मिलो भात मिलो टपकी मिलों यतुके हो ( राम जी की शादी में आप भी आए और हम भी, दाल भात तो जमकर मिला लेकिन टपकी ( स्वाद बढ़ाने के लिए दी जाने वाली सब्ज़ी थोड़ी सी ही मिली) । जाने माने हास्य कलाकार हरिनंदन दुर्गापाल जी सीता के स्वयंबर में गाते थे – जनक तुम क्या कर बैठे कोल, इस धनुष को वो तोड़ेगा जो भात खाए एक तौल ( इस धनुष को तो कोई पहलवान ही तोड़ सकता है जो एक तोल ( चावल बनाने वाला बड़ा बर्तन जिसमें शादी में भोजन बनता है) चावल खाता हो) । हास्य सम्राट मदन चाचा (सेठ जी) कहते थे – हमर जीतू भौते होशियार हेगो , पोरि बेर छः में पढ़ छी अली बेर पाँच में ले गो ( हमारा जीतू बड़ा होशियार हो गया है पिछले साल छः में पढ़ता था इस साल पाँच में चला गया है) । रामू करा क भैंस ब्ये रो दूध दिन पड़ोल के बेर खाव में भै रो ( राम सिंह की भैंस ब्याई है दूध ना देना पड़े इसलिए तालाब में बैठी है)। फिर पूरन भाई का दौर आया उन्होंने अपनी कलाकारी का अलग समाँ बांधा । जीवन में हास्य अमृत समान है इसमें दो राय नहीं ।

Leave a comment