गरीब की थाली में भी पुलाव आ गया
लगता है शहर में फिर चुनाव आ गया
नेता नदारद थे फिर से दरबार आ गया
चेले चपाटों का मानो सैलाब आ गया
नेताओ को टिकट का तनाव आ गया
जनता से दिखावे का लगाव आ गया
हर नेता कमर कस कर आ गया
मदद को पार्टी का लश्कर आ गया
जनता का गला काटने नश्तर आ गया
टिकट की दौड़ में भी तस्कर आ गया