रैतखान-कोदल

हिमालय की गोद में बसे रैतख़ान-कोदल उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले के रामगढ़ क्षेत्र में स्थित बहुत ही रमणीय स्थल है । यहाँ से मीलों फैले पर्वतराज हिमालय के दर्शन होते है। यहाँ पर्यटकों के आने जाने के लिए यातायात की सुविधा नहीं है और यही कारण है कि इस क्षेत्र की प्राकृतिक़ सुंदरता अक्षुण्य बनी हुई है । मै दावे से कह सकता हूँ जो भी पर्यटक प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य को देखना चाहते हैं एक बार इस स्थान पर जाएँ उन्हें छः महीने मेडिटेशन करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी । यहाँ जाने के लिए आपको मोटरमार्ग से गागर जाना पड़ेगा । गागर कठगोदाम रेलवे स्टेशन से 40 किलोमीटर की दूरी पर है । गागर से पैदल मार्ग से आधा किलोमीटर की दूरी पर सिद्ध मंदिर स्थित है । यहाँ पर आलोकिक शांति का अनुभव होता है । यहाँ से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है रैतख़ान । रैतख़ान से 2 किलोमीटर नीचे कोदल बसा है । रैतख़ान-कोदल के सेब के बाग पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं । अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो एक बार रैतख़ान – कोदल का भ्रमण अवश्य करें आपको प्रकृति अपार सुकून से सराबोर कर देगी । रामगढ़ हमेशा से प्रकृति प्रेमियों का आकर्षण रहा है । यहाँ गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर का बंगला था । उन्होंने गीतांजलि की आंशिक रचना रामगढ़ से ही लिखी थी जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था । यहाँ महादेवी वर्मा का बंगला भी स्थित है । आप जब भी नैनीताल यात्रा पर आएँ एक बार रामगढ़ मुक्तेश्वर अवश्य आएँ और पक्षियों के कलरव भरे प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छादित रैतख़ान-कोदल भ्रमण करें आप अपना सारा तनाव भूलकर तरोताज़ा हो जाएँगे

Leave a comment