सुखार्थिनः कुतो विद्या

सुखार्थिनः कुतो विद्या विद्यार्थिनः कुतः सुखम् ।

सुखार्थी वा त्यजेत्विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम् ।

सुख चाहने वाले से विद्या दूर रहती है और विद्या चाहने वाले से सुख। इसलिए जिसे सुख चाहिए, वह विद्या को छोड़ दे और जिसे विद्या चाहिए, वह सुख को।

आजकल अधिकतर बच्चे मोबाइल में रील देखने में व्यस्त रहते हैं । ये रील देखने से रियल लाइफ़ का तबाह हो जाना निश्चित है । ये क्षणिक सुख , ये पल दो पल का मज़ा पूरी ज़िंदगी को बुरी तरह प्रभावित करेगा । ( खता लम्हों में होती है, सजा सदियों को मिलती है ) । बच्चों को रील से सख़्त परहेज़ करना चाहिए, रील व्रत बच्चों को संयमी और अनुशासित बनाएगा और निश्चित रूप से जीवन के लिए उपजाऊ भूमि तैयार करेगा जिससे बच्चा अपनी क्षमतानुसार उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा । रील खरपतवार है इसे उगने का मौक़ा दिया तो ये आपकी सारी संभावनाओं को लील जाएगी ।

Leave a comment