लफड़दास की दिनचर्या कड़े अनुशासन की मिसाल है । उनके सुबह जागने, नित्यकर्म से निव्रत होने, अख़बार पढ़ने, चाय नाश्ता करने, दुकान खोलने आदि सब कुछ एक नियमित समय सारणी के अधीन है । लफड़दास के शराब पीने का सलीका भी अलहदा है । लफड़दास कभी दो पेग से ज़्यादा नहीं पीते । लफड़दास जीवन में संतुलन को बड़ा महत्व देते हैं । लफड़दास नाम के ही लफड़दास हैं । उन्होंने अपने पूरे जीवन में एक भी लफड़ा नहीं किया और बहुत ही सुलझा हुआ जीवन जिया । लफड़दास का बड़ी दृढ़ता से मानना है कि एकता में बल होता है । वही परिवार तरक़्क़ी कर सकता है जिसमें एकता हो। वही समाज आगे बढ़ सकता है जिसमें एक दूसरे को आगे बढ़ाने की भावना हो ।